Thursday, July 3, 2008

(10) एक आंसू



मुखोटा मुस्कराहट का,दिल मैं छिपी उदासी है
सुखी इन आंखों मैं रह गया कतरा,एक आंसू अभी बाकी है


डर है मिल न जाओ कभी तुम ,फिर कही किसी मोड़ पर
कैसे मिल पाउँगा तुमसे,आँख मैं आंसू रोक कर

चाहा तुम्हे था तब भी मैंने, आज भी उतनी चाहत है
सुकून न तब कभी दिल को मिला,आज भी नही कोई राहत है

सोचता हु कहा ग़लत था मैं,क्यों तुम मुझसे छुट गई
तुम्हे देखकर सवर गई थी, वो किस्मत मेरी रूठ गयी

कहना पाया तुमसे कभी मैं ,अपने दिल की बात magar
बरसो झेला है इस दिल ने, उस नाकामी को वो कहर

तुमको देखे सालो beetein,जाने अब कब मौका मिले
न ही मिले तो अच्छा है,क्यों फिर से वो धोका मिले
तुमसे क्यों मैं शिकवा करू,तुमने कभी मुझे चाहा नही
प्यार की कहाँ गुंजाइश थी,दोस्ती से भी सराहा नही

खेर चलो अब जाने दो,ये तो पुरानी बातें है
मेरे अधूरे प्यार की ये, प्यारी सी सौगातें है

दुआ करो तुम इतनी सी बस,फिर हम कही मिल जाए अगरचुप रहे ये आँखें मेरी,तुमसे मिले जब मेरी नज़र

No comments:

Post a Comment