Friday, March 13, 2009

(72) मन बावरा

मन बावरा , चाहे उन्हें
सूरज समान, जो दूर हैं !
दिल क्या करे, सूझे राह नही,
ख़ुद ही के हाथो मजबूर हैं !
चाहे उन्हें, जो अपने ही मैं
खोये रहने मैं मशहूर हैं !
उन्हें इल्म नही, इस वजह से वोह
पेश आते कितने मगरूर हैं !
याद उनकी जो, आती है यू
चुब्ते ख़याल नासूर हैं !
पलकों से न आंसू छलक जाए

इन आँखों का वोह नूर हैं !
शायद वोह मिल जाए, सब्र करलें
आखरी साँस आनी, तो अभी दूर हैं !
मर के अगर मिल जाए वोह
तो मरना भी मंज़ूर है !


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