Saturday, January 2, 2010

(110) तिनका तिनका

तिनका तिनका इनको सवरने दीजिये
लम्हा लम्हा इश्क मैं निख़रने दीजिये
लुफ्त नहीं सब्र गवाने मैं इस तराह
हुस्न को आहिस्ता से बिखरने दीजिये

टूट जाते हैं होश राह मिलती नहीं
लहू बेह जाने पर भी चाह मिलती नहीं
घूँट नहीं शराब का जो उठा के पी गए
मोम है, ज़रा ज़रा पिघलने दीजिये

रोम से उभर के जो बदन पे आ गयी
कैसी है खुमारी जो आँखों मैं छा गयी
आघोष मैं ले लिया तो बाकी कुछ ना रहेगा
बिन छुए, अरमानो को मचलने दीजिये

लम्हा लम्हा हुस्न को बिखरने दीजिये ....

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