Wednesday, November 18, 2009

(90) Nov 11

हथेलियों मैं मुह छिपाके
उंगलियों से आँख दबाके
अन्धकार तोह ढूंड लिया
     रात कहाँ से लाओगे


बातें करके बड़ी बड़ी
बन बैठे हों संत बड़े
जब आएगी त्याग की बारी
    जस्बात कहाँ से लाओगे


दुनिया से उसे चुरा लाये
मजबूरी तुम्हारा प्यार था
वोह भी तुमसे प्यार करे
     हालात कहाँ से लाओगे


चल दिए सब छोड़ छाड़ के
औरो पर एहसान किया
खुदा बनने की कोशिश है
     औकात कहाँ से लाओगे

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