आया हूँ लम्हों के लिए
देखूं की तुम कैसी हों
अब भी मुस्कुराती हों
या आँखें सुजाये बैठी हों
क्या अब भी बातें करती हों
बेवजाह सारी दुनिया से
या मेरी आवाज़ सुनने को
कान लगाये बैठी हों
आईने से मुह मोड़ लिया
या अब भी सजती सवरती हों
आकर तुम्हे एक नज़र देखू
क्या आस लगाये बैठी हों
भूल गयी हों तुम मुझको
की हूँ मैं तुम्हारे खयालो मैं
मिल जाऊ मैं फिर से शायद
क्या सांस लगाए बैठी हों
बावरी हों अरी,तुम ना जानो
मैं आज़ाद परिंदा हूँ
आऊंगा ना फिर दुबारा
क्यों ख्वाब सजाये बैठी हों
देखूं की तुम कैसी हों
अब भी मुस्कुराती हों
या आँखें सुजाये बैठी हों
क्या अब भी बातें करती हों
बेवजाह सारी दुनिया से
या मेरी आवाज़ सुनने को
कान लगाये बैठी हों
आईने से मुह मोड़ लिया
या अब भी सजती सवरती हों
आकर तुम्हे एक नज़र देखू
क्या आस लगाये बैठी हों
भूल गयी हों तुम मुझको
की हूँ मैं तुम्हारे खयालो मैं
मिल जाऊ मैं फिर से शायद
क्या सांस लगाए बैठी हों
बावरी हों अरी,तुम ना जानो
मैं आज़ाद परिंदा हूँ
आऊंगा ना फिर दुबारा
क्यों ख्वाब सजाये बैठी हों
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