Friday, October 24, 2008

(55) एक सच

कभी लगती है सागर जैसी,
कभी महज़ बूँद पानी की.
इन्ही के बीच खोयी है कही,
परिभाषा ज़िंदगानी की.
सोचो ना की उम्र भर रिश्तें,
ख़ुद साथ चले आयेंगे .
सुलझानी पड़ती है ख़ुद हर कड़ी,
इस पेचीदा कहानी की....

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