Thursday, October 30, 2008

(58) असमंजस

लंबा सफर, काली रात
उस पर ज़ालीम , तेरी याद
चुभते है दिल के जस्बात
नही मगर कोई इसका ईलाज

गूंजे है मेरी साँसों मैं
झलके है मेरी आंखों मैं
बातें तेरी, तस्वीर तेरी
कब आओगी बाहों मैं

सोचु तुझसे बात करूँ
हाले-ऐ-दिल सब तुझसे कहू
लेकिन यह तकदीर मेरी
चाहकर भी कुछ कर ना सकूँ

यह सफर तोह कट जायेगा
लेकिन नया फिर कल आएगा
खो जाऊँगा याद मैं तेरी
युही जीवन ढल जायेगा

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