Friday, October 10, 2008

(47) एक शेर

ना तो तुम कहती ही हों

इसका तो मैं आदि हूँ !


मिजाज़ अच्छा है तुम्हारा,


फिरसे कोशिश कर देखूं !


शायद हसी हसी में ही,


गलती से तुम हाँ कहदो !


इसी भरम से आज दोबारा,


प्यार की आजमाइश कर देखूं !

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